वरक़ा की मौत के बाद 3 साल तक वह्य क्यों रुकी?

वरक़ा की मौत के बाद 3 साल तक वह्य क्यों रुकी?

सारांश

इस्लामी रिवायतों के मुताबिक़, वरक़ा बिन नवफ़ल – एक ईसाई आलिम और ख़दीजा के चचेरे भाई – पहले शख़्स थे जिन्होंने मुहम्मद को नबुवत का ख़्याल दिया, जब मुहम्मद ने दावा किया कि फरिश्ता वह्य लाया। लेकिन वरक़ा की मौत के बाद मुहम्मद ने 3 साल तक कोई नई वह्य नहीं आने का दावा किया

ये सवाल उठता है: वरक़ा की मौत और वह्य रुकने का क्या ताल्लुक़ था?

मुसलमानों के पास इसका कोई पुख़्ता जवाब नहीं। सबसे अच्छा बहाना हाफ़िज़ इब्न हजर का है (फ़त्हुल बारी 1/27): “वह्य रुकना मतलब कुछ वक़्त के लिए टलना था – ताकि नबी का डर ख़त्म हो और वह्य की तमन्ना बढ़े।”

ये बहाना बहुत अजीब है:

  • पहली वह्य में जिब्रील ने मुहम्मद को इतना ज़ोर से दबाया कि डर क्यों गया?
  • फिर 3 साल का गैप डर ख़त्म करने के लिए ज़रूरी था?
  • इसमें हिकमत कहाँ है?

क्या गैप सिर्फ़ 12 या 40 दिन का था?

कुछ पैरोकार कहते हैं कि गैप सिर्फ़ 12 या 40 दिन का था, 3 साल नहीं।

लेकिन सहीह बुखारी 6982 इस बहाने को तोड़ देता है: इस दौरान मुहम्मद इतने मायूस हुए कि बार-बार पहाड़ पर चढ़कर ख़ुदकुशी करने गए। हर बार जिब्रील आता और कहता: “तुम अल्लाह के सच्चे रसूल हो।”

12-40 दिन में कोई इतना मायूस होकर बार-बार ख़ुदकुशी की कोशिश करता? जिब्रील की बार-बार तसल्ली भी नाकाफ़ी पड़ती?

सहीह बुखारी 6982 से पूरी कहानी

आयशा ने बयान किया: पहली वह्य सच्चे ख़्वाबों से शुरू हुई… फिर ग़ार-ए-हिरा में तहन्नुस। फरिश्ता आया और बोला “इक़रा!” मुहम्मद बोले “मैं पढ़ा नहीं।” फरिश्ते ने तीन बार दबाया, फिर सूरह अलक़ 96:1-5 पढ़ी।

डरकर घर भागे, बोले “मुझे चादर ओढ़ाओ!” ख़दीजा से बोले “मुझे अपनी जान का ख़ौफ़ है।” ख़दीजा उन्हें वरक़ा के पास ले गईं। वरक़ा बोले: “ये वही नमूस (जिब्रील) है जो मूसा पर आया… तेरी क़ौम तुझे निकालेगी।”

थोड़े दिन बाद वरक़ा मर गए और वह्य रुक गई। मुहम्मद इतने उदास हुए कि बार-बार पहाड़ पर चढ़कर गिरने लगे। हर बार जिब्रील आता और कहता: “मुहम्मद, तुम अल्लाह के रसूल हो।” इससे दिल को तसल्ली मिलती और घर लौटते।

असली वजह?

वरक़ा मुहम्मद के स्क्रिप्ट एडवाइज़र थे – वही जो उनकी तजुर्बे को बाइबल के नबियों से जोड़ते थे। वरक़ा की मौत के बाद मुहम्मद के पास कोई नहीं था जो बताता कि “अगला नबी क्या कहता है”।

इन तीन सालों में मुहम्मद ने तिजारत करने वालों, ईसाइयों-यहूदियों से बाइबल की कहानियाँ इकट्ठी कीं – जो बाद में “वह्य” बनकर आईं।

जब वह्य “दोबारा शुरू” हुई तो कुरान में अचानक बाइबल की कहानियाँ भर गईं।

नतीजा

  • वह्य डर या तमन्ना की वजह से नहीं रुकी।
  • रुकी क्योंकि मुहम्मद का बाइबल का मुख्य ज़रिया – वरक़ा – मर गया।
  • ख़ुदकुशी की कोशिशें गहरी मायूसी दिखाती हैं, कोई दैवी इम्तिहान नहीं।
  • तीन साल का गैप कहानियाँ इकट्ठा करने के लिए परफ़ेक्ट था।

एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं – लेकिन झूठ छिपता नहीं।

अगर वह्य सचमुच सर्वज्ञ अल्लाह से आती तो एक शख़्स की मौत पर सालों का गैप क्यों?