भारत पिछले एक दशक में तेज़ी से आर्थिक, तकनीकी, सैन्य और अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। विश्व के सामने भारत एक नए महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, और यही तथ्य उन ताक़तों को असहज करता है जो भारत की स्थिरता और विकास के विरोधी हैं।
दिल्ली के लाल किले के पास दो दिन पहले हुआ आतंकी हमला इस बात का संकेत है कि भारत विरोधी आतंकी नेटवर्क अभी भी सक्रिय हैं और किसी भी अवसर पर वार करने से पीछे नहीं हटेंगे।
इस लेख में हम —
✔ पूरी घटना का क्रम
✔ आतंकी मॉड्यूल का नेटवर्क
✔ असली विचारधारा और प्रेरणाएँ
✔ भारत को निशाना बनाए जाने के कारण
✔ कुरान–हदीस में वर्णित आदेश
को सरल और विस्तृत रूप में समझेंगे।
घटना की शुरुआत: श्रीनगर के नौगाम में लगे धमकी भरे पोस्टर
यह कहानी शुरू होती है एक छोटी लेकिन बेहद महत्वपूर्ण घटना से।
श्रीनगर के नौगाम इलाके की दीवारों पर जैश-ए-मोहम्मद के नाम से धमकी भरे पोस्टर लगाए गए।
सुरक्षा एजेंसियों ने तुरंत CCTV खंगाले और तीन ऐसे ओवरग्राउंड वर्करों की पहचान की जो पहले भी पत्थरबाज़ी और भड़काऊ गतिविधियों में शामिल रहे थे।
इनकी गिरफ़्तारी ने एक बड़े आतंकी नेटवर्क की पहली परत खोल दी —
एक ऐसा मॉड्यूल जो कश्मीर से हरियाणा और दिल्ली तक फैला हुआ था।
मौलवी इरफान अहमद—आतंकी नेटवर्क की मुख्य कड़ी
पूछताछ में नेटवर्क की दिशा शोपियां के मौलवी इरफान अहमद तक पहुँची।
इरफान मस्जिद का मौलवी था और युवाओं को मज़हबी कट्टरता के नाम पर जिहाद की ओर मोड़ रहा था।
जांच में खुलासा हुआ कि:
- वह जैश-ए-मोहम्मद और
- अंसार गज़वत-उल-हिंद
से सीधे संपर्क में था।
उसके फोन से बरामद डिजिटल सबूतों ने जाँच एजेंसियों को शिक्षित डॉक्टरों, मौलवियों और पेशेवरों की आड़ में काम कर रहे व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क तक पहुँचा दिया।
डॉक्टरों की आड़ में छिपा आतंकी तंत्र
इरफान से मिले इनपुट के बाद पुलिस तीन डॉक्टरों तक पहुँची:
- डॉ. मुजम्मिल शकील (पुलवामा)
- डॉ. आदिल अहमद राठर (कुलगाम)
- डॉ. शाहीना शाहिद (लखनऊ)
ये सिर्फ डॉक्टर नहीं थे—
ये आतंकी नेटवर्क के लिए बम बनाने की सामग्री, हथियार और लॉजिस्टिक सपोर्ट उपलब्ध कराते थे।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी (फरीदाबाद) से:
✔ 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट
✔ 20 टाइमर
✔ इलेक्ट्रॉनिक सर्किट
✔ तार, बैटरियां
✔ AK-56, चीनी पिस्तौल, क्रिंकोव राइफल
जैसी भारी मात्रा में सामग्री बरामद हुई।
यह किसी बड़े “मल्टी-स्टेट मॉड्यूल” का ऑपरेशन था।
दिल्ली में हमले की साजिश और पुलिस कार्रवाई
जांच से पता चला कि:
- फरीदाबाद में विस्फोटक तैयार किए जा रहे थे
- इन्हें दिल्ली तक पहुँचाने की तैयारी थी
- मकसद था दिल्ली–NCR में बड़ा धमाका कर साम्प्रदायिक तनाव फैलाना
- पिछले दो वर्षों से सामग्री धीरे-धीरे इकट्ठा की जा रही थी
फरीदाबाद में छापेमारी और कई गिरफ्तारीयों के बाद आतंकी नेटवर्क के मास्टरमाइंड ने जल्दबाज़ी में लाल किले पर धमाका किया — ताकि बड़ी साजिश पकड़ में आने से पहले “प्रभावी वार” किया जा सके।
ISKP की खतरनाक योजना: हवा और खाने में जहर मिलाने की साजिश
गुजरात ATS ने एक और घातक साजिश का खुलासा किया:
✔ आज़ाद सुलैमान शेख (कैराना)
✔ मोहम्मद सुहैल (लखीमपुर)
✔ डॉ. सैयद (राइसिन विशेषज्ञ)
ये तीनों ISIS–India / ISKP से जुड़े थे और “राइसिन” जैसे वैश्विक रूप से प्रतिबंधित ज़हर को तैयार कर रहे थे।
राइसिन क्या है?
- एक लेक्टिन टॉक्सिन
- 5–6 दिन में दर्दनाक मौत
- कोई इलाज या एंटीडोट नहीं
- खाने, हवा या पानी में मिलाकर बड़े पैमाने पर लोगों को मारने का हथियार
इन आतंकियों का प्लान था कि:
- भीड़भाड़ वाली जगहों,
- फूड मार्केट,
- सप्लाई चेन
में राइसिन मिलाकर मैस-बायोलॉजिकल अटैक किया जाए।
आतंकी हमलों के पीछे की मुख्य वजह — विचारधारात्मक आधार
भारत में हुए अधिकतर आतंकी हमलों के पीछे सिर्फ पाकिस्तान या ISI नहीं होते।
असल वजह इससे भी गहरी है — मज़हबी विचारधारा और मजहबी आदेश।
कुछ प्रमुख बिंदु:
(1) इस्लामी विश्व व्यवस्था की अवधारणा
इस्लाम का एक बड़ा मजहबी विचार है कि:
- पूरी धरती अल्लाह की है
- पूरी दुनिया पर इस्लामी हुकूमत होनी चाहिए
- जब तक ऐसा नहीं होता, “जंग” अनिवार्य है
(2) गैर-इस्लामी शासन को खत्म करने का आदेश
कई मजहबी ग्रंथों में गैर-मुस्लिम शासन को “गैर-वैध” बताया जाता है।
(3) भारत का विशेष उल्लेख
इस्लामी हदीसों में “ग़ज़वा-ए-हिंद” यानी भारत पर अंतिम लड़ाई का जिक्र है।
कुरान और हदीसों में हिंसा से जुड़े आदेश (संदर्भ सहित)
कुरान 2:244
“अल्लाह के रास्ते में लड़ो…”
कुरान 2:216
“जंग तुम्हारे लिए अनिवार्य है…”
कुरान 8:39
“उनसे तब तक लड़ो जब तक दीन सिर्फ अल्लाह का न हो जाए…”
कुरान 3:151
“हम जल्द ही काफिरों के दिलों में खौफ डाल देंगे…”
सही बुखारी 52:256
गैर-लड़ाकों के मारे जाने को जायज़ ठहराया गया।
सही बुखारी 52:220
“मैं आतंक से विजयी हुआ हूँ।”
सुन्ना अन-नसाई 3175
भारत पर हमले वाली सेना के जन्नत में जाने का दावा।
सुन्ना अन-नसाई 3174
अबू हुरैरा का भारत पर आक्रमण में हिस्सा लेने की इच्छा।
इन हदीसों और आयतों को आज भी कई कट्टरपंथी संगठन जिहाद और आतंकवाद को उचित ठहराने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
क्यों भारत इस्लामी आतंकी संगठनों का प्रमुख लक्ष्य है?
1. भारत 1300 वर्षों से इस्लामिक आक्रमणों से लड़ता रहा है
फिर भी आज एक मजबूत हिंदू बहुल राष्ट्र है — यह कट्टरपंथियों के लिए चुनौती है।
2. भारत तीसरी सबसे बड़ी उभरती महाशक्ति
भारत को इस्लामी बनाना उनके वैश्विक पैन-इस्लामिक एजेंडे को आसान बना देगा।
3. भारत की मजबूत रणनीतिक क्षमता
भारत इस्लामी चरमपंथ को सबसे अच्छे तरीके से समझता है और उससे निपटने में सक्षम है।
निष्कर्ष : खतरा अभी टला नहीं है
भारत के सामने खतरा सिर्फ सीमाओं पर नहीं, बल्कि:
- शिक्षित लोगों की आड़ में छिपे व्हाइट कॉलर आतंकी
- डिजिटल कट्टरता
- जैविक हथियार
- शहरी आतंकी मॉड्यूल
- मजहबी कट्टर विचारधारा से है।
भारत को आज सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों की ही नहीं,
बल्कि समाज, सरकार, मीडिया और हर नागरिक की सतर्कता की जरूरत है।





