पृष्ठभूमि
खंदक की जंग (हिजरी 5) में अफ़वाह उड़ी कि मदीना के अंदर रहने वाली यहूदी क़बीला बनू क़ुरैज़ा ने मुसलमानों से ग़द्दारी की और मक्का वालों के साथ मिलकर पीठ पर हमला करने वाला है। लेकिन ये अफ़वाह झूठी निकली।
- बनू क़ुरैज़ा ने मक्का वालों की कोई मदद नहीं की।
- एक महीने की घेराबंदी में एक भी मुसलमान को न खरोंच आई।
- मुसलमान उनके इलाक़े में बे-रोकटोक आ-जा रहे थे (सहीह बुखारी 3721)।
- बनू क़ुरैज़ा ने मक्का वालों को अपने इलाक़े से गुज़रने तक नहीं दिया।
जब मक्का वाले हारकर भाग गए तो मुसलमानों ने भी हथियार डाले और नहाने लगे। किसी ने बनू क़ुरैज़ा पर ग़द्दारी का इल्ज़ाम नहीं लगाया।
दिह्या अल-कल्बी का आइडिया
उम्म सलमा (मुहम्मद की बीवी) के घर में मुहम्मद नहा रहे थे। तभी दिह्या अल-कल्बी (एक सहाबी जो बहुत ख़ूबसूरत था) आया और बोला: “बनू क़ुरैज़ा पर हमला कर दो – औरतें, बच्चे, माल सब मिल जाएगा।”
मुहम्मद को मदीना में यहूदियों की मौजूदगी पहले से खटकती थी। दिह्या का आइडिया पसंद आया। लेकिन हमले के लिए कोई बहाना चाहिए था।
“जिब्रील” का ड्रामा
मुहम्मद ने दावा किया कि जिब्रील उनके पास आया और हुक्म दिया: “हथियार मत रखो, बनू क़ुरैज़ा पर हमला करो।”
इब्न कसीर (तफ्सीर सूरह अहज़ाब आयत 33:26) लिखता है: उम्म सलमा के घर में मुहम्मद नहा रहे थे कि जिब्रील आया – सिर पर रेशमी पगड़ी, सफ़ेद ख़च्चर पर, जिस पर रेशमी कपड़ा बिछा था। जिब्रील ने कहा: “तुमने हथियार रख दिए? फरिश्तों ने नहीं रखे। अल्लाह ने मुझे हुक्म दिया कि बनू क़ुरैज़ा के क़िले हिला दूँ और उनके दिलों में खौफ़ डाल दूँ।”
लेकिन लोग तो दिह्या को देखकर निकलते देख चुके थे! बनू तमीम के लोग बोले: “दिह्या कल्बी गुज़रा था।” मुहम्मद ने तुरंत नया बहाना: “वो जिब्रील था, दिह्या की सूरत में आया था।”
उम्म सलमा ने भी यही कहा (सहीह बुखारी 4980): “जिब्रील आया था, मैंने दिह्या समझा। बाद में नबी ने खुत्बे में बताया कि वो जिब्रील था।”
सवाल
- जिब्रील हमेशा अदृश्य रूप में आता था – अब दिह्या की सूरत में क्यों?
- सिर्फ़ कन्फ्यूज़न पैदा करने के लिए?
- उम्म सलमा और बनू तमीम ने दिह्या को देख लिया तो झूठ पकड़ा गया – फिर “सूरत में आया था” का नया बहाना?
हमले का नतीजा
मुहम्मद ने 25 दिन घेराबंदी की। बनू क़ुरैज़ा के क़िले नहीं हिले, न उनके दिलों में खौफ़ पड़ा। सिर्फ़ रसद ख़त्म होने पर हथियार डाले। फिर 600-900 मर्दों को क़त्ल कर दिया, औरतें-बच्चों को गुलाम बना लिया।
बाक़ी यहूदियों का क्या हुआ?
बनू क़ुरैज़ा के बाद छोटे यहूदी क़बीले (बनू हारिसा, बनू सलम) भी बिना किसी बहाने मदीना से निकाल दिए गए। बाद में मुहम्मद ने हुक्म दिया: पूरे अरब में एक भी यहूदी-ईसाई न रहे (सहीह मुस्लिम 1767a)।
नतीजा
- दिह्या ने लालच दिलाया।
- मुहम्मद ने “जिब्रील” का ड्रामा रचा ताकि हमले का बहाना मिले।
- लोग दिह्या को देख चुके थे – झूठ पकड़ा गया तो “जिब्रील दिह्या की सूरत में आया था”।
ये कोई अल्लाह की वह्य नहीं थी। ये एक इंसान का बनाया हुआ ड्रामा था – सिर्फ़ माल और औरतों के लिए।





