भोपाल का “अमान खान” केस: जबरन इस्लामांतरण की खौफनाक हकीकत और हिंदू समाज को झकझोरने वाला सबक

भोपाल का “अमान खान” केस: जबरन इस्लामांतरण की खौफनाक हकीकत और हिंदू समाज को झकझोरने वाला सबक

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से जो खबर आई है, वह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, पूरे समाज की अस्मिता और सुरक्षा पर उठने वाला सवाल है। शुभम गोस्वामी नाम का एक हिंदू युवक तीन साल तक “अमान खान” बनकर जिया – ना चाहते हुए भी नमाज पढ़ी, जमात में भेजा गया, गोमांस खिलाया गया, परिवार से काट दिया गया और लगातार जान का खतरा बना रहा। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, यह 2025 के भारत की कड़वी सच्चाई है।

यह वही सुनियोजित “लव जिहाद” का पैटर्न है जो पिछले 8-10 सालों में सैकड़ों बार देश के अलग-अलग कोनों में दोहराया जा चुका है।

याद कीजिए कुछ नाम, जो कभी सुर्खियाँ बने थे और फिर “सेकुलरिज्म” के नाम पर दबा दिए गए:

विशाल गोकवी – कर्नाटक के गडग में हिंदू युवक विशाल गोकवी  ने 10 जुलाई 2025 को अपनी मुस्लिम पत्नी तहसीन और ससुराल पर गंभीर आरोप लगाया। शादी के बाद उसे जबरन इस्लाम अपनाने, रोज नमाज पढ़ने और फोटो भेजने को मजबूर किया गया। नमाज न पढ़ने पर फर्जी रेप केस में फंसाने की धमकी दी जाती थी। पुलिस में शिकायत दर्ज, जांच चल रही है।

बिल्लिपुरम नागराजू –  4 मई 2022 को हैदराबाद के सारूर्णगर में 25 साल के हिंदू युवक बिल्लिपुरम नागराजू की उनके मुस्लिम पत्नी अशरीन सुल्ताना (पल्लवी) के भाई सैयद मोबिन अहमद और एक रिश्तेदार ने लोहे की रॉड व चाकू से सार्वजनिक रूप से हत्या कर दी। बचपन के प्यार और जनवरी 2022 में हुई अंतर-धार्मिक शादी का पत्नी का परिवार विरोध कर रहा था।

दलित युवक नितिन – लखीमपुर खीरी के सैधारी गांव में 2 अगस्त 2025 को दलित युवक नितिन की नृशंस हत्या हो गई। उसका भाई अमित एक मुस्लिम लड़की से प्रेम करता था, जिसका परिवार इस रिश्ते का विरोध कर रहा था। जब अमित लड़की से मिलने नदी पुल पर पहुंचा तो लड़की के परिवार (वसीम, कलीम, अजीज, असलम, पप्पू) ने उस पर तीखे हथियारों से हमला कर दिया। भाई को बचाने आए नितिन को भी घेरकर चाकू से गोद डाला गया; मौके पर ही मौत हो गई। अमित गंभीर रूप से घायल हुआ।

अंकित सक्सेना1 फरवरी 2018 को दिल्ली के रघुबीर नगर में 23 साल के हिंदू फोटोग्राफर अंकित सक्सेना की उनकी मुस्लिम गर्लफ्रेंड शेहजादी के परिवार ने दिन-दहाड़े चाकू से गला रेतकर हत्या कर दी। परिवार 2-3 साल पुराने अंतर-धार्मिक रिश्ते का विरोध कर रहा था।

ये सिर्फ वो मामले हैं जो मीडिया में आए। सैकड़ों मामले तो आज भी पुलिस थानों में “आपसी सहमति से धर्म परिवर्तन” लिखकर दबा दिए जाते हैं।

यह मामला साफ-साफ बताता है कि “लव जिहाद” जुमला नहीं

बल्कि एक सुनियोजित रणनीति है जिसके चार मुख्य चरण हैं:

 

1. प्रेम जाल में फँसाओ  

2. झूठे केस (बलात्कार, POCSO) लगाकर जेल भिजवाओ  

3. जमानत के बदले जबरन कलमा पढ़वाओ, नाम बदलवाओ, गोमांस खिलवाओ  

4. निकाह का लालच देकर सालों तक गुलाम बनाए रखो, और अगर बगावत करे तो जान से मारने की धमकी दो।

 

शुभम के साथ ठीक यही हुआ। इल्मा नाम की लड़की के परिवार ने पहले POCSO का केस ठोंका, चार महीने जेल में सड़वाया, फिर जमानत के बदले इस्लाम कबूल करवाया। कलमा पढ़वाने के बाद भी निकाह नहीं किया – बल्कि 130 दिन की जमात कर्नाटक भेज दी ताकि हिंदू संस्कार पूरी तरह मिट जाए। जब शुभम ने अपनी असली पहचान वापस माँगी तो धमकी दी गई – “हिंदू बना तो तेरे पूरे खानदान को मार देंगे।”

यह पहला मामला नहीं है। सिर्फ इतना है कि इस बार शुभम ने हिम्मत दिखाई और जहाँगीराबाद थाने में FIR दर्ज कराई। मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 3 और 5 के तहत केस चला, तीनों आरोपी (अब्दुल नईम, अब्दुल नदीम और शामा) जेल में हैं और भोपाल कोर्ट ने उनकी जमानत यह कहते हुए खारिज कर दी कि “ये आरोप सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाले हैं और धमकी गंभीर है।”

लेकिन सवाल यह है – क्या सिर्फ एक शुभम की घरवापसी से बात खत्म हो जाएगी?

नहीं। यह तो बस बर्फ का टुकड़ा है। हजारों शुभम आज भी “अमान खान”, “राहुल अहमद”, “विकास अली” बनकर मुस्लिम मोहल्लों में गुमनाम जिंदगी जी रहे हैं। उनके माँ-बाप आज भी इंतज़ार कर रहे हैं कि उनका बेटा कभी लौटेगा। कोई आवाज नहीं उठाता क्योंकि “सेकुलरिज्म” के नाम पर इस तरह की घटनाओं को दबा दिया जाता है।

हमें अब सोचना होगा:

 

क्या हम अपनी बेटियों-बेटों को यह बता रहे हैं कि अंतरधार्मिक रिश्ते में खतरा क्या होता है?  

– क्या हम अपने बच्चों को इतना मजबूत बनाएँगे कि POCSO का डर दिखाकर कोई उन्हें धर्म बदलने पर मजबूर न कर सके?

मंत्री विश्वास सारंग ने ठीक कहा – “यह केस बताता है कि जबरन धर्म परिवर्तन विरोधी कानून क्यों जरूरी है।” मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने ऐसा कानून बनाया भी, लेकिन अब जरूरत है सख्ती से लागू करने की।

शुभम गोस्वामी अब घर लौट रहा है। उसका स्वागत कीजिए। उसकी हिम्मत को सलाम कीजिए।

लेकिन याद रखिए – अगर आज हम चुप रहे तो कल कोई और शुभम “अमान खान” बन जाएगा।

यह लड़ाई एक व्यक्ति की नहीं, पूरी सभ्यता की अस्मिता की है।