जो लोग खुद को देवताओं, रूहों या अलौकिक दुनिया से जुड़ा बताते हैं, वो अपने अनुयायियों के दिलों में ख़ौफ़ और दहशत डालना सबसे बड़ा हथियार इस्तेमाल करते हैं। अब मुहम्मद के तरीक़ों को अक़्ल की कसौटी पर परखिए।
मुहम्मद का दावा था कि वह्य के दौरान डरावनी घंटियाँ बजती थीं जो आसमान वालों को बेहोश कर देती थीं। खुद मुहम्मद भी काँपते, पसीने से तर होते, ठंड से थरथराते वग़ैरा।
सहीह बुखारी 2 आयशा से: हारीस बिन हिशाम ने पूछा: “या रसूलल्लाह! वह्य कैसे आती है?” नबी ﷺ बोले: “कभी घंटी की आवाज़ जैसी – ये सबसे सख़्त तरीक़ा है। कभी फरिश्ता इंसान की सूरत में आता है।” आयशा ने कहा: “मैंने नबी ﷺ को बहुत ठंड के दिन वह्य आते देखा – पसीना टपक रहा था।”
सहीह मुस्लिम 2114 अबू हुरैरा से: नबी ﷺ ने फरमाया: “घंटी शैतान का बाजा है।”
सुनन अबू दाऊद 4738 अब्दुल्लाह बिन मसूद से: नबी ﷺ ने फरमाया: “जब अल्लाह वह्य भेजता है तो आसमान वाले चट्टान पर ज़ंजीर खिंचने जैसी आवाज़ सुनते हैं और बेहोश हो जाते हैं। जिब्रील आने तक ऐसे रहते हैं।”
सवाल
- घंटी शैतान का बाजा है। फिर अल्लाह वह्य के लिए शैतान का बाजा क्यों बजवाता है? बग़ैर शैतान के बाजे के वह्य नहीं भेज सकता?
- नबी ﷺ के लिए बहुत सख़्त था। आसमान वालों के लिए भी डरावना। फिर अल्लाह ने ज़िंदगी भर ऐसा क्यों किया? आसान तरीक़े से वह्य क्यों नहीं भेजी?
- आसमान वाले पहले ही मौत देख चुके, फरिश्ते देख चुके, अल्लाह से डरते हैं। उन्हें एक्स्ट्रा डर की क्या ज़रूरत?
वह्य से काँपना था या खर्राटे लेना था?
जिन्न-भूत, ताबीज़-तावीज़़ वाले झूठे लोग भी अच्छे एक्टर होते हैं – काँपते हैं, आवाज़ भारी करते हैं ताकि लोग यकीन करें। जिन्न-रूह “ग़ैब” हैं – कोई पकड़ नहीं सकता। इसलिए मुहम्मद ने दावा किया कि वह्य डरावनी होती है – काँपना, पसीना, ठंड लगना।
लेकिन एक गवाह ने मुहम्मद को वह्य के दौरान सोते और खर्राटे लेते पकड़ा:
सहीह बुखारी (किताब उमरा, आयशा ब्यूले ट्रांसलेशन) सफ़वान बिन याला से उनके बाप ने बयान किया: नबी ﷺ जिअराना में थे। एक शख़्स ज ubba पहने आया, उसपर ख़लूक़ की खुशबू थी। बोला: “उमरा में क्या करूँ?” उस वक़्त नबी ﷺ पर वह्य नाज़िल हुई। उन्हें कपड़े से ढक दिया। मैं चाहता था कि नबी ﷺ को वह्य के दौरान देखूँ। उमर ने कहा: “आओ, नबी ﷺ को वह्य आते देखोगे?” मैंने कहा: “हाँ।” कपड़े का कोना उठाया तो देखा – नबी ﷺ खर्राटे ले रहे थे (जैसे नौजवान ऊँट के खर्राटे)। जब वह्य ख़त्म हुई तो बोले: “उमरा वाला कहाँ है? जुब्बा उतारो, खुशबू धो दो, उमरा में वही करो जो हज में करते हो।”
नतीजा
- वह्य का ड्रामा: घंटियाँ, काँपना, पसीना – लोगों में ख़ौफ़ डालने के लिए।
- लेकिन गवाह ने पकड़ा: खर्राटे ले रहे थे।
- यानी सो रहे थे – वह्य नहीं, ख़्वाब था या झूठ।
ये अल्लाह की वह्य नहीं – एक इंसान का बनाया हुआ ड्रामा था ताकि लोग डरें और यकीन करें।





