इस्लाम में सबसे बड़ा गुनाह कौन-सा?
मुसलमानों के नज़दीक सबसे बड़ा गुनाह क्या है?
किसी की हत्या करना, चोरी करना, व्यभिचार (बलात्कार), झूठ बोलना या धोखा देना?
नहीं!
इनमें से कोई भी ऐसा गुनाह नहीं है जिसे अल्लाह माफ़ न कर दे।
इस्लाम के अनुसार, यदि कोई मुसलमान इन गुनाहों में से कोई करता है और बाद में तौबा (अल्लाह से सच्चे दिल से माफ़ी) मांग लेता है, तो अल्लाह उसे माफ़ कर सकता है।
लेकिन एक ऐसा गुनाह है जिसे अल्लाह कभी माफ़ नहीं करता, और वह है —
“शिर्क” (अल्लाह के सिवा किसी और को पूजना या उसके साथ किसी को साझी ठहराना)
शिर्क: इस्लाम में सबसे बड़ा अपराध
आज दुनिया में लगभग 8 अरब लोग हैं, जिनमें से करीब 2 अरब मुसलमान हैं।
बाकी के लगभग 6 अरब लोग या तो दूसरे देवी-देवताओं की पूजा करते हैं या नास्तिक हैं।
इसलिए इस्लामी दृष्टिकोण से, दुनिया का आधा से ज़्यादा हिस्सा “शिर्क” कर रहा है।
यानी अगर कोई मुसलमान चोरी करे, व्यभिचार करे, हत्या करे, बलात्कार करे, लूट करे, धोखा दे या झूठ बोले —
तो उसे उम्मीद रहती है कि अल्लाह उसकी तौबा स्वीकार कर सकता है।
लेकिन यदि कोई व्यक्ति इन सब गुनाहों से दूर रहकर भी मूर्तिपूजा करे या किसी और ईश्वर की उपासना करे —
तो इस्लाम के अनुसार, वह सबसे बड़ा गुनाहगार है और कभी माफ़ नहीं किया जाएगा।
कुरान की गवाही
📖 सूरह अन-निसा (4:48)
“निश्चय ही अल्लाह इस बात की क्षमा नहीं करता कि उसके साथ किसी को साझी ठहराया जाए; इसके अलावा जिसे चाहे उसके लिए क्षमा कर देता है।”
📖 सूरह अन-निसा (4:116)
“अल्लाह शिर्क को माफ़ नहीं करेगा, लेकिन उससे कम गुनाहों को वह जिसे चाहे माफ़ कर सकता है।”
इसलिए अगर कोई व्यक्ति शिर्क करते हुए मर जाता है (बिना तौबा किए),
तो उसे जन्नत नहीं मिलेगी और वह हमेशा जहन्नम में रहेगा।
मुसलमानों ने मूर्तियाँ क्यों तोड़ीं?
अब आप समझ सकते हैं कि इस्लाम की शुरुआत से ही मुसलमानों ने मूर्तियों और मंदिरों को क्यों तोड़ा —
क्योंकि उनके नज़रिए में मूर्ति पूजा सबसे बड़ा गुनाह है।
इस मान्यता ने ही आगे चलकर भारत में अनेक मंदिरों के विनाश और मूर्तियों के अपमान की भूमि तैयार की।
हिन्दुओं ने सिर्फ एक बाबरी मस्जिद गिराई — जो वास्तव में भगवान रामलला का प्राचीन मंदिर था।
वह भी भारत की सर्वोच्च अदालत में 500 वर्षों के संघर्ष के बाद कानूनी रूप से जीता गया मामला था।
लेकिन आज भी मुसलमान इसे “अत्याचार” मानते हैं।
अब आइए देखते हैं कि असली अत्याचार क्या था —
जब मुसलमान आक्रांताओं ने भारत की पावन धरती पर कदम रखा और मंदिरों के साथ क्या-क्या किया।
मोहम्मद बिन कासिम का आक्रमण
सुलेमान नदवी ने अपनी पुस्तक “अरब-ओ-हिन्द” (पृष्ठ 11) में लिखा है —
जब मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर हमला किया, राजा दाहिर और उसकी सेना की हत्या के बाद मंदिरों के पुजारियों और भिक्षुओं को भी मार डाला गया।
आसपास के जो भी लोग सामने आए, सबका कत्ल कर दिया गया। यह क्रम तीन दिन तक चलता रहा।
कासिम ने वहाँ के सबसे बड़े मंदिर को तोड़कर एक विशाल मस्जिद बनवा दी।
मुल्तान की लूट और मंदिरों का विध्वंस
फ़ुतुहुल-बुलदान (उर्दू, पृष्ठ 186–199) में लिखा है —
जब मोहम्मद बिन कासिम मुल्तान पहुँचा, तो नगर को पूरी तरह से घेर लिया और पानी की आपूर्ति रोक दी।
लोग भूख और प्यास से मरने लगे। जब वे बाहर निकले, तो युद्ध योग्य सभी युवाओं का कत्ल कर दिया गया।
महिलाओं और बच्चों को गुलाम बना लिया गया, और छः हज़ार पुजारियों को भी दास बना लिया गया।
मंदिर में मिला सोना-चांदी उसने लूट लिया।
“हिंद में अरबों की हुकूमत” (पृष्ठ 140) में लिखा है —
कासिम ने देपालपुर के बड़े-बड़े मंदिरों को गिराया और वहाँ से मिले सोने-जवाहरात को बगदाद के खलीफ़ा को भेज दिया।
मंदिरों से मस्जिदें बनीं
“भारत में मुस्लिम सुल्तान” (भाग एक) के अनुसार (पृष्ठ 6) —
मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध में अत्याचार की आंधी चला दी।
उसने एक लाख हिन्दू स्त्रियों को कैद किया, मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनवा दीं।
इसी पुस्तक के पृष्ठ 11 में उल्लेख है —
जब वह करांची से आगे बढ़ा, तो एक विशाल दुर्ग में स्थित मंदिर को तोड़कर उसे जामा मस्जिद बना दिया।
कासिम ने अपने खलीफ़ा-ए-बगदाद को पत्र में लिखा —
“काफ़िरों को या तो मुसलमान बना लिया गया है या मार डाला गया है।
देव-मूर्तियों को चूर-चूर करके उनकी जगह मस्जिदें बना दी गई हैं।”
सोने की मूर्ति और खज़ाने की लूट
“आइन-ए-हकीकत” (भाग पहला, पृष्ठ 91–92) में अकबर शाह नज़ीर लिखते हैं —
जब मोहम्मद बिन कासिम ने मुल्तान जीता, तो एक ब्राह्मण के माध्यम से उसे एक विशाल खज़ाने का पता चला।
वहाँ एक सोने की मूर्ति थी जो दो सौ तीस मन भारी थी।
मूर्ति के नीचे छिपा खज़ाना निकालने पर तेरह हज़ार दो सौ मन सोना मिला,
जिसे कासिम ने दमिश्क भेज दिया।
निष्कर्ष
इस ऐतिहासिक विवरण से स्पष्ट होता है कि मोहम्मद बिन कासिम और उसके बाद के मुस्लिम आक्रांताओं ने —
भारत में मंदिरों का विनाश, मूर्तियों का अपमान, सोना-चांदी की लूट और असंख्य निर्दोष हिन्दुओं की हत्या की।
यह सब केवल सत्ता की लालसा नहीं थी, बल्कि धार्मिक कट्टरता के उस विचार से प्रेरित था
जिसमें “शिर्क” को सबसे बड़ा अपराध और मूर्तिपूजा को सबसे घृणित कर्म माना गया।
अगले भाग में हम विस्तार से जानेंगे कि कासिम के बाद आने वाले तुर्क, अफगान और मुग़ल आक्रांताओं ने
भारत की सभ्यता और आध्यात्मिक धरोहर के साथ क्या किया।





