आज लोग तेजी से इस्लाम क्यों छोड़ रहे हैं?

आज लोग तेजी से इस्लाम क्यों छोड़ रहे हैं?

आज पूरी दुनिया में लोग तेजी से इस्लाम को छोड़ रहे हैं। यह बात आज पूरी दुनिया के मुस्लिम मौलवियों के लिए सर दर्द बन गया है।

इसके क्या क्या कारण हो सकते हैं आइए जानते हैं।

इस्लाम की मुख्य मन्याताओ पर सन्देह होना –

जैसे कई सारे मुस्लिम बच्चे जब अपने जीवन में इस्लाम की काल्पनिक कहानियां सुनते हैं तो उनके दिमाग में अल्लाह, उनके पैगम्बर मोहम्मद और दुनिया के बनने के ऊपर अजीबो गरीब बातें सुनते हैं जिस बात से वो तर्किक रूप से सहमत नहीं हो पाते हैं।

जैसे- अल्लाह ने दुनिया में इंसानों को अपनी इबादत के लिए पैदा किया है और ये दुनिया सिर्फ एक इम्तेहान है असली दुनिया तो कयामत के बाद जब फैसला होगा तब मिलेगी कि हमें जन्नत में रहना है या जहन्नम में।

उसी तरह अल्लाह ने ये दुनिया 6 दिन में बनाई और सातवे दिन आराम किया। अल्लाह ने कहा कि हो जा और हो गया।

उसकी तरह मोहम्मद अल्लाह का नबी है और उसकी उम्मत जो होगी वही सिर्फ जन्नत में जाएगी और बाकी सभी जहन्नम की आग में जलेंगे।

उसी तरह नबी मोहम्मद ने 9 से ज्यादा शादियां की और बहुत सारी लौंडियां रखी जो किसी भी नैतिक सोच वाले इंसान को पसंद नहीं आएगी।

नैतिक टकराव-

आज पूरी दुनिया तेजी से एक साथ मिल कर विकास कर रही है ऐसे में कुछ बातें है जो पढ़े लिखे और खुले दिमाग वाले इंसानों को परेशान सकती है जैसे – इस्लाम को छोड़ने की सज़ा मौत का होना , महिलाओं से ज्यादा मर्द को अहमियत देना, मर्द को एक से ज्यादा महिलाओं के साथ निकाह की इज्जत का होना और कुर्बानी के नाम पर बेगुनाह जानवरों का कत्ल करना।

सामाजिक और मज़हबी दबाव-

इस्लामिक समाज में मुस्लिम बच्चों के ऊपर मजहबी विचार धारा को जबरदस्ती थोपा जाता है जैसे- कम उमर में बगैर मर्जी के बेटियों का निकाह कर देना, बच्चों की शिक्षा को दीनी तालीम तक सीमित करने का प्रयास करना, हिजाब या बुरखा पहनने का सामाजिक दबाव बनाना, अगर किसी महिला को तलाक दे दिया गया हो तो हलाला जैसे कुप्रथा को मजबूर करना, दीन पर सवाल करने की इजाजत ना होना ।

व्यक्तिगत अनुभव –

कुछ लोग जब ये देखते हैं कि बिना मतलब समझाए कुरान को अनिवर्य रूप से पढाया जाता है, इस्लाम की अतार्किक और गैर वैज्ञानिक बातों पर यकीन करने के लिए दबाव बनाया जाता है और सवाल करने पर गोलमोल जवाब दिया जाता है या चुप करा दिया जाता है तब जो इंसानी दिमाग है वो उन सवालों का जवाब ढूंढ़ना चाहता है और वो बगावत करने लगता है और खुद से सवाल ढूंढने का प्रयास करता है और इंटरनेट के युग में उन लोगों के संपर्क में जुडता है जो नास्तिक होते हैं या जिन्होनें इस्लाम छोड़ दिया है। और उनकी बातें ज्यादा तर्किक, वैज्ञानिक और नैतिक मालूम पड़ती हैं।

मुसलमानों की बड़ी आबादी को आतंकवाद और गैर क़ानूनी गतिविधियों में समलित होते देखना –

जब एक देशभक्त और अच्छा मुसलमान ये देखता है कि उसके पास के ज्यादातर मुसलमान किस तरह देश को तोड़ने वालों और देश के खिलाफ हमले की योजना बनाने वालों का साथ देता है और ये भी देखता है कि मुसलमानों की एक बड़ी आबादी गैरकानूनी गतिविधियाँ को किस तरह संचालित करता और समलित रहता है तो वो इस्लाम से और मुसलमानो से खुद ही दूर हो जाना चाहता है |

कई बार इस्लाम छोड़ने में ये सभी कारण कम या ज्यादा अपना महत्व रखते हैं और इस्लाम छोड़ना कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं होती ये लम्बे समय के बाद बहुत सोचने और समझने के बाद ही हो पाता है।

मेरे लिये इस्लाम छोडने में पांचवा कारण महात्वपूर्ण है।