आज जब हम अपने चारो तरफ मुसलमानों की आबादी उनके कारण मचाये जाने वाले उत्पात और अनेकों ऐसे वाकये देखते हैं जो गैर मुस्लिम समाज पर ख़ाश कर आम हिंदुओ पर आए दिन हो रहा है तो एक सवाल ऐसा पैदा होता है कि भारत में इस्लाम कहां से आया और भारत में आज जो मुस्लिम है वो किस तरह से मुस्लिम बने।
क्या ये लोग अरब से आये थे या यहीं के लोगों को इस्लाम कुबूल करवा दिया गया था ? क्या जिन्होनें इस्लाम कुबुल किया था वो अपनी मर्जी से इस्लाम अपनाया था या जबरन कुबुल करवा गया था ? ऐसे तमाम सवालों के जवाब आज इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि कोशिश हम करेंगे।
मैंने इस्लाम को आज से 15 साल पहले ही छोड़ दिया था। मैने इस्लाम को इसलिए छोड़ा क्योंकि जिस तरह से मुस्लिमों की तरफ से गैर मुस्लिमों के साथ नफ़रत और हिंसा बढ़ रही थी, जो मुझे सोचने पर मजबूर किया कि आख़िर मुस्लिम पूरी दुनिया में गैर मुस्लिमों से नफ़रत क्यों करते हैं और उस पर जललेवा हमला क्यों कर रहे हैं |
जब मैंने इसका उत्तर ढूंढने की कोशिश की तो मुझे इस्लाम का इतिहास और खासकर भारत के इस्लाम का इतिहास पढ़ने का मौका मिला।
इसकी शुरुआत अरब के मक्का में मोहम्मद बिन अब्दुल्ला के जन्म से शुरू हुआ | जब वो पेदा भी नहीं हुए थे तब उनके पिता अब्दुल्ला की मौत हो गई, बाद में उनकी माँ ने भी उनको अपना दूध पिलाने से इनकार कर दिया और किसी और परिवार को पालने के लिए दे दिया। बाद में उसकी मां आमिना की भी मौत हो जाती है।
ये कुछ ऐसे कारण हो सकते हैं जिस कारण बच्चे को बचपन में अगर प्यार ना मिले और अकेलेपन में बचपन गुजरे तो वो बच्चा मानसिक रूप से बीमार हो सकता है। और इसी वजह से मोहम्मद बिन अब्दुल्ला बचपन से ही कल्पनाओं में खोया रहता था और उनको अजीब अजीब सी चीजें दिखती थी। उसके बाद उसकी परवरिश की जिम्मेदारी उसके दादा अब्दुल मुत्तलिब ने 2 साल तक बड़े ही लाड प्यार से किया क्योंकि उसे बचपन से प्यार नहीं मिला था कुछ समय बाद उसके दादा की भी मौत हो गई। उसके दादा के मौत के बाद उसके चाचा अबू तालिब ने भी बड़े ही प्यार से मोहम्मद की परवरिश की।
मोहम्मद को जिस आयु में प्यार की जरूरत थी उस समय माँ बाप का प्यार नहीं मिला और कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा और जब वो थोड़ा बड़ा हो गया था और उसे अनुशासन सिखाना चाहिए था तब उसको बहुत ही ज्यादा लाड और प्यार दिया गया जिसका व्यक्तित्व पर उल्टा प्रभाव पड़ा और वो सनकी बन गया।
उसकी पहली शादी एक अमीर महिला खदीजा जो मोहम्मद से 15 साल बड़ी थी उसके साथ हुई, जिस करण मोहम्मद को कमाने की जरूरत नहीं पड़ी और बस वो पूरे दिन इधर उधर भटकता हुआ अपने ही ख्यालों में खोया रहता था | एक दिन उसे एक अजीब सा ख्वाब आया जिसे जब अपनी बीवी को बताया तो उसकी बीवी ने उसके सनक को और बढ़ा कर उसे अल्लाह का पैगम्बर बना दिया।
जिसके बाद वो घूम घूम कर खुद को अल्लाह का नबी और दूसरे देवी देवता को गालियां देता था। जिस कारण मक्का वासी मोहम्मद से काफ़ी परेशान हो गए थे और वे और उनके जो थोड़े से अनुयायी थे उन सभी का दाना-पानी बंद कर दिया। जिस कारण वो सभी मक्का छोड़ कर मदीना को हिजरत कर गए।
मदीना में उनके अनुयायों की संख्या बढ़ने लगी क्योँकी मोहम्मद ने दूसरों काबिलों को लूटने और उनको क़त्ल करने का आदेश दिया और इसको अल्लाह का हुकुम बताया। जिस कारण लोगों के पास काफी धन दौलत इक्कट्ठा होने लगा। इस तरह मोहम्मद ने अपने लोगो को हर बुरे काम को करने का लाइसेंस दे दिया और उन सभी को अपराध-मुक्त कर दिया।
और इसी तरह मोहम्मद जहां कहीं भी जाता है वहां उन सभी लोगो को तीन विकल्प देता | 1. इस्लाम कुबूल कर लो, 2. जज़िया देकर छोटे हो कर रहो या 3. क़त्ल होने के लिए तैयार हो जाओ। इसी तरह से दुनिया के आधे से ज्यादा हिस्से पर इस्लाम का विस्तार होता गया।
ये सभी इस्लाम की किताब कुरान, हदीस और मोहम्मद की जीवनी में दर्ज़ किया गया है
नबी मोहम्मद की जिंदगी के बारे में बताना इसलिए जरूरी था ताकि आप ये बात समझ सकें कि भारत में जब मोहम्मद बिन कासिम ने 712 ईस्वी में इस्लाम लाया था तो कासिम और उसकी सेना जो कुछ भी किया था वो क्यों किया था।
भारत में काफी लंबे समय से अरब के साथ व्यापार के माध्यम से रिश्ते बने हुए थे। शुरुआत में अरब के लोग भारत में आकार इस्लाम की अच्छी अच्छी बातों का प्रचार करते थे। साथ ही अरब ने ये देखा कि भारत कितना समृद्ध और धन संपन्न है तो अरबों का इस्लामी साम्राज्यवादी लालाच जागृत हो गया और वो लोग भारत पर हमला करके भारत को लूटने और भारत में इस्लाम की स्थापना करने के लिए तड़पने लगे। भारत में उस काल में परिस्थितयां भी भारत के पक्ष में नहीं थीं, सम्राट हर्ष की मृत्यु के बाद भारत की सभी रियासतें आपस में बिखरे हुए थे। आपसी कलह और सीमाओ का टकराव भी जारी था।
अरबो का भारत पर आक्रमण करने के तीन कारण थे।
1. इस्लामिक सत्ता का विस्तार करके भारत को दारुल इस्लाम बनाना।
2. भारत की धन संपदा जो अधिक मंदिरों में रहती थी उसको लूटना और हिंदू महिलाओं को यौन दासी बना कर उपभोग करना और बाद में अपने देश में ले जाकर बेच देना।
3. मंदिरों को तोड़कर उसकी जगह मस्जिद बनाना ताकि इस्लाम का विस्तार हो सके।
भारत पर पहला हमला जो इस्लामियों ने किया वो 636 ईस्वी से 637 ईस्वी के बीच किया गया जब खलीफा उमर के नेतृत्व में इस्लाम का विस्तार पूरी दुनिया में हो रहा था। बंबई के पास जो थाने नाम का बंदरगाह है पहला इस्लामी बेडा वहीं पर लगा था। लेकिन उस समय भारत की समुद्री सेना बहुत ही शक्तिशाली थी जिसकी वजह से इस्लामिक सेना को भारी हार का सामना करना पड़ा और बहुत मुश्किल से वो अपनी जान बचाकर भाग पाए। उसके बाद दूसरा हमला 643 ईस्वी में एक बार फिर से भारत पर किया गया लेकिन इस बार मौजुदा खलीफा से सहयोग ना मिल पाने के कारण बुरी तरह से मार कर भागा दिया गया। और इस तरह पूरे 70 सालों तक भारत पर कोई भी हमला करने से इस्लामिक सेना ने हिम्मत नहीं की।
लेकिन 70 साल बाद एक मजहबी दरिंदा मोहम्मद बिन कासिम को भारत पर आक्रमण करने का मौका मिल गया। जिसके बाद भारत की पूरी कहानी बदल गई।
हुआ कुछ यूं था कि खलीफा हज्जाज का एक जहाज श्रीलंका से आ रहा था जिनमे कुछ उपहार और कुछ मुस्लिम यात्री भी मौजूद थे जिसे समुंद्री लुटरों ने लूट लिया था और वो इलाका सिंध के राजा दाहिर के सीमा रेखा में आता था, जिसके बाद हज्जाज ने राजा दाहिर को वो वापस करने को कहा जिसे राजा दाहिर ने यह कह कर नकार दिया कि वो लुटेरे का काम है और उन्हें उनसे कोई भी लेना देना नहीं है।
इस बात से खलीफा हज्जाज को बहुत गुस्सा आया और उसने अपने भतीजे और दामाद मोहम्मद बिन कासिम को एक बड़ी सेना के साथ सिंध पर हमले के लिए भेज दिया।
जब मोहम्मद बिन कासिम बैरुन में आया तो बौद्धों ने उनका बड़ा भारी स्वागत किया और तख्तो रसम का पूरा इंतेजाम किया। क्योंकि वो समय में हिंदू और बौद्धों में कौन बड़ा धर्म है इस बात को लेकर खींचा-तानी चल रही थी और इसका परिणाम यह निकला कि इस घर की लड़ाई में सिंध का राज्य मुसलमानों के हवाले हो गया ।
जब मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर हमला किया तो बुरी तरह हारने लगा और राजा दाहिर सिंह मोहम्मद की सेना को गाजर -मूली की तरह काट रहे थे और मोहम्मद की सेना का मनोबल टूट चुका था और उसे अपने प्राणों की चिंता सताने लगी थी, लेकिन उसी वक्त एक पुजारी जो उस विशाल मंदिर का प्रमुख पुजारी था वो मोहम्मद बिन कासिम से मिल गया और इस वादे के साथ कि अगर राजा दाहिर सिंह हार जाए तो क्या उसके बाद उसको अच्छा इनाम मिलेगा। मोहम्मद बिन कासिम मान गया और उपाय जानने की कोशिश की तो पुजारी ने बताया राजा दाहिर सिंह और उनकी सेना का इस देवी मन्दिर पर अटूट आस्था है और अगर इस मंदिर का झंडा गिर जाए तो दाहिर और उसकी सेना का मनोबल टूट जाएगा और इस तरह आप जीत जाएगें।
मोहम्मद बिन कासिम ने देवी मंदिर का झंडा पुजारी की मदद से गिरा दिया जिसे देख कर राजा दाहिर सिंह और उनकी सेना ने ये समझा की देवी मंदिर से नाराज होकर चली गई है इस लिए अब हम जीत नहीं सकते जिसके बाद सेना में भगदड़ मच गई। इसी बीच राजा दाहिर सिंह का कत्ल करके उसके सिर को ऊंचे भाले लगा का दाहिर सिंह की सेना को दिखाया गया, जिस कारण दाहिर सिंह की सेना पूरी तरह निराश हो गई और वो भागने लगी। इस बीच जितने भी लड़ने योग्य पुरुष थे उनको क़तल कर दिया गया।
और साथ ही मंदिर के सभी पुजारी और भिक्षुक भी क़तल दिए गए। ये क़त्लेआम लगभग तीन दिन तक चलता रहा। और कासिम ने उस मंदिर को भी तोड़ कर एक विशाल मस्जिद में तब्दील कर दिया।
इस वृतांत को मुस्लिम लेखकों ने अपनी पुस्तक फ़ुतुहुलबुलदान की पृष्ठ संख्या 186-187 में लिखा है।
फिर जब मोहम्मद बिन कासिम मुल्तान पहुंचा और नगर को घेर लिया तो नगर का ही एक व्यक्ति ने आकर कासिम को बताया की शहर में पानी जाने का एक ही मुख्य मार्ग है। और उसके बाद कासिम ने उस रास्ते को बंद कर दिया जिससे शहर के लोग प्यास से मरने लगे और सारा शहर आत्म समर्पन करने को विवश हो गया। कासिम ने सभी मर्दों का क़तल कर दिया, औरतों और बच्चों को लौंडी और गुलाम बना लिया।
यहां से कासिम को बहुत सारा सोना मिला। मन्दिरों में बड़े-बड़े लोहे के संदूक मिले जिन्हे देवी-देवताओं पर दान में जो जमा किया जाता था उसे हासिल का लिया। उसने अदभुत धन जो सोने और चांदी के रूप मैं थे उसे लूट लिया गया। इसी कारण मुल्तान को सोने का घर कहा जाता है।
इस पूरे वृतांत का जिक्र मुस्लिम लेखक की पुस्तक फ़ुतुहुलबुलदान की पृष्ठ संख्या 140-191 में लिखा है।
इस तरह हसने देखा का आपसी फूट, लालच और अंधश्रद्धा के कारण इतनी बड़ी हार, नरसंहार और महिलाओं को यौन दासी जैसी दशा से गुजरना पड़ा।
असल में सिंध पर राजा दाहिर से जो युद्ध किया गया वो कोई एक विवाद से उत्पन्न युद्ध नहीं था बकि इस्लामी जिहाद का ही एक हिस्सा था इसके प्रमाण के लिए चचनामा के पृष्ठ संख्या 163-154 में लिखा है कि – सिंध के किलों को जीत लेने के बाद मोहम्मद बिन कासिम ने ईराक के गर्वनर, अपने चाचा हज्जाज को एक खत लिखा जिसमे लिखा कि- ‘ शिस्तान और सीसाम के किले पहले ही जीत लिए गए है। गैर मुस्लिमो को इस्लाम कुबूल करवा दिया गया है या बाकियों का कत्ल कर दिया गया है। मुर्ति वाले मन्दिरों को तोड कर मस्जिद बना दी गई है।
जब बिन कासिम ने सिंध को जीत लिया तो वह जहाँ भी गया कैदियों की अपने साथ ले गया और बहुत से कैदियों को, विशेषकर महिला कैदियों को लौंडी के रूप में अपने देश खलीफा को भेज दिया । जिसमे राजा दाहिर सिंह की दोनों बेटिया परिमल देवी और सूरज देवी भी थी , जिसे खास खलीफा हज्जाज के हरम को सम्पन्न करने के लिए भेजा गया था। दोनों बेटियां वे हिन्दू महिलाओं के उस समुह का भाग थी जो युद्ध के लूट के माल के पांचवे भाग के रूप में खलीफा को भेजा गया था जैसा की कुरान और हदीस मे लिखा है।
(चचनामा पेज 173 में दर्ज है)
हजजाज की ये शर्त और सूचनाएं कुरान के आदेशों के पूर्णतः अनुरूप ही थी। इस विषय में कुरान का आदेश है-
“जब भी तुम्हे मुर्तिपूजक मिले उनका कत्ल कर दो। उन्हें बन्दी बना ली, घेर लो, घात की हर जगह उसकी ताक में रहो।” कुरान 9:5
और “उनमे से जिस किसी को पकड़ लो उन सब को अल्लाह ने माले गनीमत के रूप में तुम्हे दिया है | कुरान 33:58
रेवार की जीत के बाद उसने छ हजार आदमियों का काल किया। उसकी सेना ने सभी महिलाओं और बच्चों को कैद कर लिया। जब कैदियों की गिनती की गई तो वे तीन हजार से ज्यादा थे जिस मे अकेली 30 तो सरदारों की बेटियाँ थी जिसे खलीफा हज्जाज की भेज दिया गया |
(चचनामा पृष्ठ संख्या 172-173)
कासिम की सेना जब करांची पहुंची तो उन्होंने वहां भी क़त्लेआम, महिलाओं का बलात्कार, लूटपाट करके उत्साह मनाया। यह सब तीन दिन तक चला। सारा किला एक जेलखाना बना दिया गया जहाँ शरण में आए सभी काफिरों (गैर मुसलमानों ) की जिसमे सैनिक और नागरिक दोनों का कत्ल और अंगभंग यानि की उनके हाथ पैर काट दिए गए। सभी काफिर महिलाओं व बच्चों को कैद कर मुस्लिम योद्धाओं में बाँट दिए गए।
मुख्य मंदिर को मस्जिद बना दिया गया और उसी सुरी पर जहाँ कल तक भगवा झंडा फहराता था वहाँ इस्लाम का हरा झण्डा फहराने लगा । काफिरों की तीस हजार महिलाओं को बगदाद भेज दिया गया।
( पुस्तक फ़ुतुहुलबुलदान की पृष्ठ संख्या 113-130)
फिर जब कासिम की सैना ब्रह्ममनाबाद पहुंची तो वहाँ भी सभी काफिर सैनिको और मर्दों का कत्ल कर दिया और महिलाओं और बच्चों को लौंडी और गुलाम बनाकर उसका मुल्य तय कर दिय जिसमें 1 लाख से अधिक को गुलाम बनाया गया था।
चचनामा पृष्ठ संख्या – 179
इस तरह पहली बार भारत में
इस्लाम आया ,जो मोहम्मद बिन कासिम के माध्यम से शुरू किया था।





